Chand Chadhyo Gignar Lyrics - Seema Mishra, Mukesh Bagda Lyrics
Chand Chadhyo Gignar, a Superhit Rajasthani Folk Song. Chand Chadhyo Gignar song sung by Seema Mishra, music label by Veena Music.
"चांद चढ़यो गिगनार"
प्रेम और संदेह का तो मानो कोई गहरा नाता हो, जहां प्रेम हो वहां संदेश का होना तो वाजिब है। बस ऐसा ही एक अनोखा नाता होता है विवाह का नाता। विवाह में प्रेम होता है, शिकायते होती हैं, और संदेह तो होता ही है, और जहां संदेह हो वहां छोटी-छोटी नोक झोंक तो होती ही है, इन छोटी- छोटी नोक झोंक में ही तो विवाह का रस है। पत्नी अपने पति से बहुत प्रेम करती है वो उसके मान सम्मान की संगरक्षी होती है और इन सबसे भी परे वो उसके सुख - दुख की सबसे बड़ी साथी होती है । पर जब पति उसके प्रेम की परीक्षा लेने लगे उसे समय ना दे उसकी भावनाओं को ना समझे तो वो विरह में तड़पती इंतजार में तरसती ना जाने अपने मन मे क्या- क्या ख्याल ला बैठती है, रोती है बिलखती है सोचती है कब ये इंतजार खत्म हो कब वो अपने सवालों का जवाब अपने साजन से सुने और मन से संदेह का बोझ उतारे इन्ही प्रेम और संदेह की खट्टी-मीठी नोक- झोंक का वर्णन है "Veena" के इस सालों से लोकप्रिय गीत
"चांद चढ़यो गिगनार" में ।
इस मधुर प्रेम प्रसंग को अपनी आवाज से सजाया है "सीमा मिश्रा" ने और संगीत से सजाया हैं लोकप्रिय संगीतकार निर्मल मिश्रा ने इस संगीत को आप तक पहुंचाया है "वीणा" समुह के अध्यक्ष "श्री के.सी. मालू जी" ने ।
गीत के बोल कुछ इस तरह हैं ।
" चांद चढ़यो गिगनार किरतयां ढल आई आधी रात पिउजी अब तो घरां पधारों मारुडी थारी बिलखे छ जी बिलखे छ"
विरह की वेदना बस यही तो है जब हम किसी का इंतजार करें और वो इंतजार कम ना हो बस बढ़ता ही जाए फिर वो इंतजार विरह की सीमा त्याग संदेह में तब्दील हो जाता है । और उस संदेह का दोषी कोई नही होता पर प्रेम में तड़पती तरसती पत्नी ये सब नही समझ पाती उसके मन में बस सवाल ही सवाल उमड़ते हैं।
यहां भी गौरी हाथों में मेहंदी का गहरा रंग चढ़ा कर आँखों में प्रेम का काजल सजाकर साजन के इंतजार में सेज सजाकर गौरी साजन का इंतजार कर रही हैं ,वो बार बार चाँद तारों को देख कर यही सोच रही है कि उसके साजन कहां रह गयें रात ढलने लगी है चाँद आसमान की ऊंचाई पर है पर साजन को समय कि कोई ख्याल नही है । इस गीत में गौरी की तड़प उसके दुख का एक सुंदर चित्रण किया गया है, कि कैसे गौरी साजन के इंतजार में दीपक जला कर पूरी रात अकेले गुजार रही है कैसे वो दीपक की रोशनी के सहारे साजन का इंतजार कर रही पर जब उसके मन में उठ रहे सवालों पर वो दीपक कि लो को हिलते-डुलते देखती है तो परेशान होकर उसे भी बुझा देती है। इसी इंतजार में रोते बिलखते गौरी अपने काजल से पूरा तकिया काला कर देती है। गौरी के इंतजार ओर संदेह भरे सवालों का सामना जब साजन सुबह करता है तो उसे उसकी तड़प का अहसास होता है ,जब गौरी साजन को सौतन के लिए ताने मरती है तो गौरी को पूरी रात का वृतांत साजन कैसे करते हैं गीत के अंत में वह भी बताया गया है कि कैसे एक विरह भारी रात के बाद सुबह के उजाले में साजन को देखकर गौरी बहुत खुश होती है । गौरी के विरह उसकी खुशी और इंतजार का सुंदर चित्रण " Veena" ने अपने इस लोकप्रिय गीत में बतलाया भी है और दिखलाया भी है।
Chand Chadhyo Gignar Lyrics - Seema Mishra |
Singer | Seema Mishra, Mukesh Bagda |
Music | Nirmal Mishra |
Song Writer | Traditional |
Chand Chadhyo Gignar Lyrics in Hindi
चाँद चढ्यो गिगनार किरत्यां ढळ आई आधी रात पिवजी
अब तो घरां पधार मारुणी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे
ज्युँ ज्युँ तेल बळे दिवले में धण बाती सरकावे जी
ज्युँ ज्युँ तेल बळे दिवले में धण बाती सरकावे जी
नहीं आयो मदछकियो रसियो दिवलो नाड़ हिलावे जी
दिवले स्यूँ झुंझलाए गौरी दिवलो दियो बुझाय
मारुणी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे
सिसक सिसक कर गौरी रोवे तकियों काळो करियो जी
सिसक सिसक कर गौरी रोवे तकियों काळो करियो जी उगते
सूरज रसियो आयो हाथ पीठ पर धरियों जी
कठे बिताई सारी रात थाने उग आयो परभात
मारुणी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे
हाथ छिटक कर गौरी बोली अब क्यूँ घरां पधारया जी
हाथ छिटक कर गौरी बोली अब क्यूँ घरां पधारया जी
सौतण के संग रात बिताई कर कर कोड सवांया जी
सौतण के संग रात बिताई कर कर कोड सवांया जी
कठे बिताई सारी रात थे तो कर दीन्यो परभात
मारुणी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे
उक चुक मत बोलो गौरी मत ना देवो ताना जी
उक चुक मत बोलो गौरी मत ना देवो ताना जी
साथीडा़ रा संग रात बिताई खेल्या चोपड़ पासा जी
साथीडा़ रा संग रात बिताई खेल्या चोपड़ पासा जी
बठे बिताई सारी रात म्हाने उग आयो परभात
गोरी मुस्काओ जी मुस्काओ जी
चंदो गयो सिधार देखो उग आयो परभात
म्हारा अब आया भरतार मनड़ो मुळके छे जी मुळके छे
Chand Chadhyo Gignar Lyrics in English
Chand chadyo gignaar kirtya dal aai aadhi pivaji
Ab to ghara padhar maarunni thari bilakhe che ji bilakhe che
Jyu jyu tel bale divale me dhann baati sarkaave ji
Jyu jyu tel bale divale me dhann baati sarkaave ji
Nahi aayo madchakiyo rasiyo divalo naad hilaave ji
Divale syu jhunjhlaay gori divalo diyo bujhaay
Maarunni thaari bilakhe che ji bilakhe che
Sisak sisak kar gori rove takiyo kaalo kariyo ji
Sisak sisak kar gori rove takiyo kaalo kariyo ji
Ugate suraj rasiyo aayo hath peeth par dhariyo ji
Kathe bitaai saari raat thaane ug aayo parbhat
Maarunni thaari bilakhe che ji bilakhe che
Hath chitak kar gori boli ab kyu ghara padharya ji
Hath chitak kar gori boli ab kyu ghara padharya ji
Soutann ke sang raat bitaai kar kar kod savaana ji
Soutann ke sang raat bitaai kar kar kod savaaya ji
Kathe bitaai saari raat the to kar deenyo parbhat
Maarunni thaari bilakhe che ji bilakhe che
Uk chuk mat bolo gori mat naa devo taana ji
Uk chuk mat bolo gori mat naa devo taana ji
Saathida ra sang raat bitaai khelya chopad paasa ji
Saathida ra sang raat bitaai khelya chopad paasa ji
Bathe bitaai saari raat mhane ug aayo parbhat
Gori muskaao ji muskaao ji
Chando gayo sidhar dekho ug aayo parbhat
Mhara ab aaya bhartaar manro mulake che ji mulake che
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