Gunti Khole Ne Bare Kaad Lyrics

Balavendra Singh
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Gunti Khole Ne Bare Kaad Lyrics

Gunti Khole Ne Bare Kaad Lyrics

।। दोहा ।।

भक्त बीज पलटे नहीं , जो जुग जाय अनन्त ।

ऊंच नीच घर अवतरे , वो रहे संत को सन्त ।

 

।। गुणती खोले ने बिणजारा ।।

गुणती खोले ने बारे काढ रे बिणजारा ,

राम रे भजवारी वेळा जाय ।

गुणती खोलूं तो धोखो उपजे मेलागर ,

लारे आवे रे थारे वार ॥

 

वार करणिया लारे रह गया बिणजारा ,

गया है वे गंगाजी रे घाट ।

हँस ने मुलके ने मुडे बोलजे मेलागण ,

हिवड़े पेरावू नवसर हार ॥

 

ऊंची बेड़ावू वादळ महल में मेलागर ,

चुड़लो पेरावू हस्ती दाँत ।

थारे जेड़ा रे हाळी बाळदी बिणजारा ,

नोखता घोड़लियों वाली लाद ।

 

सेर - सेर सोनो मैं तो पहरती बिणजारा ,

मरती मोतिड़ां भारो भार ।

सोना रा पालणा में हीडती बिणजारा ,

दासियाँ ढोलती रे वाव ॥

 

मत कर धनवन्ती धन रो गाड रे बिणजारा ,

नहीं रे आवेला थारे काम ।

घड़ियक झोलो वाजियो बिणजारा ,

होगी मैं घर - घर री पणिहार ॥

 

अब तो बिणजारा री बोली छोड़ दे मेलागर ,

खोमद के ने बतलाव ।

शायर नीर सरीखा दीकरा बिणजारा ,

चनण सरीखा भरतार ॥

 

कोई छत्रि वे तो सांभलो रे भाइड़ा ,

बिणजारे पकड़ी अठे गाय ।

झड़जाई फुलड़ा ने रह जाई वासना जुगमें ,

वेला सतियों रो अमर नाम ।



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